Ramcharitmanas : Balkandya , text 4

*बालकाण्ड...
स्वाद तोष सम सुगति सुधा के। कमठ सेष सम धर बसुधा के॥

जन मन मंजु कंज मधुकर से। जीह जसोमति हरि हलधर से॥4॥

भावार्थ:-ये सुंदर गति (मोक्ष) रूपी अमृत के स्वाद और तृप्ति के समान हैं, कच्छप और शेषजी के समान पृथ्वी के धारण करने वाले हैं, भक्तों के मन रूपी सुंदर कमल में विहार करने वाले भौंरे के समान हैं और जीभ रूपी यशोदाजी के लिए श्री कृष्ण और बलरामजी के समान (आनंद देने वाले) हैं॥4॥

श्रृंखला जारी....💐💐

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