Posts

Showing posts from February, 2019

भगवद गीता (BG Ch1, Text 8, 9)

भगवद गीता (BG Ch1, Text 8, 9) अध्याय 1: कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण श्लोक  1 . 8 भवान्भीष्मश्र्च कर्णश्र्च कृपश्र्च समितिंजयः | अश्र्वत्थामा विकर्णश्र्च सौमदत्तिस्तथैव च || ८ || भवान् - आप; भीष्मः - भीष्म पितामह; च - भी; कर्णः - कर्ण; च - और; कृपः - कृपाचार्य; च - तथा;समितिञ्जयः - सदा संग्राम-विजयी; अश्र्वत्थामा - अश्र्वत्थामा; विकर्णः - विकर्ण; च - तथा; सौमदत्तिः - सोमदत्त का पुत्र; तथा - भी; एव - निश्चय ही; च - भी।   भावार्थ मेरी सेना में स्वयं आप, भीष्म, कर्ण, कृपाचार्य; अश्र्वत्थामा, विकर्ण तथा सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा आदि हैं जो युद्ध में सदैव विजयी रहे हैं ।   तात्पर्य   दुर्योधन उन अद्वितीय युद्धवीरों का उल्लेख करता है जो सदैव विजयी होते रहे हैं । विकर्ण दुर्योधन का भाई है, अश्र्वत्थामा द्रोणाचार्य का पुत्र है और सोमदत्ति या भूरिश्रवा बाह्लिकों के राजा का पुत्र है । कर्ण अर्जुन का आधा भाई है क्योंकि वह कुन्ती के गर्भ से राजा पाण्डु के साथ विवाहित होने के पूर्व उत्पन्न हुआ था । कृपाचार्य की जुड़वा बहन द्रोणाचार्य को ब्याही थी । श्लोक  1 . 9 अन्य च बह

भगवद गीता (BG Ch1, Text 6, 7)

भगवद गीता (BG Ch1, Text 6, 7) अध्याय 1: कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण श्लोक  1 . 6  युधामन्युश्र्च विक्रान्त उत्तमौजाश्र्च वीर्यवान् | सौभद्रो द्रौपदेयाश्र्च सर्व एव महारथाः || ६ || युधामन्युः - युधामन्यु; च - तथा; विक्रान्तः - पराक्रमी;उत्तमौजाः - उत्तमौजा; च - तथा; विर्यवान् - अत्यन्त शक्तिशाली; सौभद्रः - सुभद्रा का पुत्र; द्रौपदेवाः - द्रोपदी के पुत्र; च - तथा; सर्वे - सभी; एव - निश्चय ही; महारथाः- महारथी ।  भावार्थ पराक्रमी युधामन्यु, अत्यन्त शक्तिशाली उत्तमौजा, सुभद्रा का पुत्र तथा द्रोपदी के पुत्र - ये सभी महारथी हैं । अध्याय 1: कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण श्लोक  1 . 7  अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम | नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते || ७ || अस्माकम् - हमारे; तु - लेकिन; विशिष्टाः - विशेष शक्तिशाली; ये - जो; निबोध - जरा जान लीजिये, जानकारी प्राप्त कर लें, द्विज-उत्तम - हे ब्राह्मणश्रेष्ठ;नायकाः - सेनापति, कप्तान; मम - मेरी; सैन्यस्य - सेना के; संज्ञा-अर्थम् - सूचना के लिए; तान् - उन्हें; ब्रवीमि - बता रहा हूँ; ते -

भगवद गीता (BG Ch1, Text 4, 5)

भगवद गीता (BG Ch1, Text 4, 5) अध्याय 1: कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण   श्लोक  1 . 4 अत्र श्रूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि | युयुधानो विराटश्र्च द्रुपदश्र्च महारथः || ४ || अत्र - यहाँ; शूराः - वीर; महा-इषु -आसा - महान धनुर्धर;भीम-अर्जुन - भीम तथा अर्जुन; समाः - के समान; युधि - युद्ध में; युयुधानः - युयुधान; विराटः - विराट; च - भी;द्रुपदः - द्रुपद; च - भी; महारथः - महान योद्धा । भावार्थ इस सेना में भीम तथा अर्जुन के समान युद्ध करने वाले अनेक वीर धनुर्धर हैं - यथा महारथी युयुधान, विराट तथा द्रुपद । तात्पर्य यद्यपि युद्धकला में द्रोणाचार्य की महान शक्ति के समक्ष धृष्टदयुम्न महत्त्वपूर्ण बाधक नहीं था किन्तु ऐसे अनेक योद्धा थे जिनसे भय था । दुर्योधन इन्हें विजय-पथ में अत्यन्त बाधक बताता है क्योंकि इनमें से प्रत्येक योद्धा भीम तथा अर्जुन के समान दुर्जेय था । उसे भीम तथा अर्जुन के बल का ज्ञान था, इसीलिए वह अन्यों की तुलना इन दोनों से करता है । श्लोक  1 . 5  धृष्टकेतुश्र्चेकितानः काशिराजश्र्च वीर्यवान् | पुरुजित्कुन्तिभोजश्र्च शैब्यश्र्च नरपुङ्गवः || ५ || धृष्टकेतु:

भगवद गीता (BG Ch1, Text 2, 3)

भगवद गीता (BG Ch1, Text 2, 3) अध्याय 1: कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण  श्लोक 1 . 2 सञ्जय उवाच  दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा | आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत् || २ || सञ्जयः उवाच - संजय ने कहा; दृष्ट्वा - देखकर; तु - लेकिन; पाण्डव-अनीकम् - पाण्डवों की सेना को; व्यूढम् - व्यूहरचना को; दुर्योधनः - राजा दुर्योधन ने; तदा - उस समय; आचार्यम् - शिक्षक, गुरु के; उपसङ्गम्य - पास जाकर; राजा - राजा ; वचनम् - शब्द; अब्रवीत् - कहा;  भावार्थ संजय ने कहा - हे राजन! पाण्डुपुत्रों द्वारा सेना की व्यूहरचना देखकर राजा दुर्योधन अपने गुरु के पास गया और उसने ये शब्द कहे । तात्पर्य धृतराष्ट्र जन्म से अन्धा था । दुर्भाग्यवश वह आध्यात्मिक दृष्टि से भी वंचित था । वह यह भी जानता था की उसी के समान उसके पुत्र भी धर्म के मामले में अंधे हैं और उसे विश्र्वास था कि वे पाण्डवों के साथ कभी भी समझौता नहीं कर पायेंगें क्योंकि पाँचो पाण्डव जन्म से ही पवित्र थे । फिर भी उसे तीर्थस्थल के प्रभाव के विषय में सन्देह था । इसीलिए संजय युद्धभूमि की स्थिति के विषय में उसके प्रश्न के मंतव्य को

भगवद गीता (BG Ch1, Text 1)

भगवद गीता (BG  Ch1, Text 1) अध्याय 1: कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण   श्लोक  1 . 1 धृतराष्ट्र उवाच  धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः | मामकाः पाण्डवाश्र्चैव किमकुर्वत सञ्जय || १ || धृतराष्ट्र: उवाच - राजा धृतराष्ट्र ने कहा; धर्म-क्षेत्रे - धर्मभूमि (तीर्थस्थल) में; कुरु-क्षेत्रे -कुरुक्षेत्र नामक स्थान में; समवेता: - एकत्र ; युयुत्सवः - युद्ध करने की इच्छा से;मामकाः -मेरे पक्ष (पुत्रों); पाण्डवा: - पाण्डु के पुत्रों ने; च- तथा; एव - निश्चय ही; किम - क्या; अकुर्वत -किया;सञ्जय - हे संजय । भावार्थ धृतराष्ट्र ने कहा -- हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे तथा पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया ? तात्पर्य भगवद्गीता एक बहुपठित आस्तिक विज्ञान है जो गीता - महात्मय में सार रूप में दिया हुआ है । इसमें यह उल्लेख है कि मनुष्य को चाहिए कि वह श्रीकृष्ण के भक्त की सहायता से संवीक्षण करते हुए भगवद्गीता का अध्ययन करे और स्वार्थ प्रेरित व्याख्याओं के बिना उसे समझने का प्रयास करे । अर्जुन ने जिस प्रकार से साक्षात् भगवान् कृष्ण से गीता सुनी और उसक